Home Remedy for urticaria in Hindi by Dr. Rajiv Dixit: pitti ke gharelu upchhar
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अब छाती से लेकर और जंघा तक यहां जितने भी रोग आप जानते हो वो सब पित्त के रोग है। गैस बनना एसिडिटी होना हाइपर एसिडिटी होना अल्सर होना पेप्टिक अल्सर होना खाते समय मुह में पानी आना या मुह पानी बिल्कुल सूख जाना बार बार डकार आना खट्टी डकारें आना हिचकियां आना ये सब पित्त की समस्याएं है। पित्त के रोग है और इनकी संख्या चालीस हैं । ये छाती से लेकर जंघाओं के बीच वाले इलाके के रोग हैं सब पित्त के । किडनी खराब होना लीवर खराब होना किडनी में स्टोन होना लीवर में सूजन होना ये सब पित्त की समस्याएं। और खराब रोगों के नाम बताता हु जोंडिस में सोना, पीलिया होना, हेपेटाइटिस होना ये सब पित्त के रोग है, पित्त की समस्या हैं । कई तरह के बुखार पित्त की समस्या अब आपको जिंदगी भर एक ही चीज ध्यान रखनी है कि वात, पित्त, कफ तीनों संतुलित रहे आपके लिए तो आप रोगी नहीं हो सकते। तो आपको करना क्या है वात पित्त कफ तीनों को संतुलित रखने के लिए महर्षि बाग्ग हट्ट के कुछ सूत्र याद रखने और याद रखकर उनको जीवन में पालन करना हैं।
पहला नियम-
खाना खाने के बाद कभी भी पानी नहीं पीना सूत्र को उन्होंने लिखा है जिस तरीके से मैं बताता हूं ये मैंने भाशंतार्ण कर करके बोल दिया खाना खाने के बाद पानी नहीं पीना महर्षि बाग्ग हट्ट ऐसे में लिखा। उन्होंने लिखा है। भोजन अन्ते विषम वारी ऐसे लिखा भोजन अन्ते माने भोजन के अंत में विषम यानी विष के जैसा। वारी,यानी पानी भोजन के अंत में पानी विष के जैसा है। ये है सूत्र मतलब भोजन के अंत में पानी न पिए के सरल कर दिया गया। अब क्यों न पिएं। कारण उसका यह है कि हम जब खाना खाते हैं खाना सारा पेट में इकट्ठा होता है। एक स्थान है उसको जठर कहते हैं। जठर स्थान में जब खाना आता है। तो अपने आप अग्नि जलती है। उसको जठर अग्नि कहते हैं खाना खाते ही पेट में अग्नि है। जब जठर अग्नि जलती है तो खाना पचता है। अग्नि नहीं जलती तो खाना नहीं पचता। तो आप ने खाना खा लिया। पेट में अग्नि जली। अग्नि ने जैसे ही जलना शुरू किया आपने पानी पी लिया ,और खूब ठंडा पानी पी लिया चिल्ड वाटर फ्रिज से निकाल के बोतल गटक ली। अब क्या होगा। अग्नि भुझ गयी अग्नि बुझ गई तो खाना नहीं पचेगा, तो खाना सड़ेगा और सड़ा हुआ खाना 103 बीमारियां पैदा करेगा। सबसे ज्यादा बीमारियां किसी में आती हैं इसलिए महर्षि बाग्ग हट्ट जी ने पहला सूत्र ये लिखा भोजन अन्ते विषम वारी खाने के बाद पानी नहीं पीना।
दूसरा नियम-
पानी जब भी पिए घूंट भरके पिए सिप करके पिया करे । जैसे चाय पीते हैं, जैसे कॉफी पीते हैं, गर्म दूध पीते हैं। ऐसे पानी पीये ऐसे कभी भी पानी न पिए एक गिलास लगाया और लगातार पिया। ये गलत तरीका है पानी पीने का तरीका है एक घूंट पिया थोड़ी देर रोकें। एक घूंट लिया फिर रुकें फिर पिया फिर रुके, ऐसे पानी पिए । इसका क्या लाभ है मुंह में आप जानते लार बनती है। ये लार जो है ना पेट के सिर्फ तेजाब को शांत रखती है । पेट का जो तेज़ाब है न वो एसिडिक है। विज्ञान की भाषा में और मुंह की लार जो है वो येल्केलायींन हैं क्षारीय है तो ये क्षार हैं। यहां अम्ल है अम्ल और क्षार मिले तो एक दूसरे को न्यूट्रल करते हैं तो मुंह की लार बार बार पेट में जाए ताकी पेट का तेजाब शांत रहे। इसके लिए कहा गया घुट घुट पानी पिए थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीएं। आयुर्वेद में कहा जाता है कि जिनके पेट का अम्ल शांत रहता, तेजाब शांत रहता हैं उनको जिंदगी में रोग नहीं आते। अम्लता अगर आपकी शांत है एसिडिटी कोई रोग आने की संभावना नहीं है। दुनिया के सारे खराब रोग जैसे कैन्सर,जैसे डायबिटीज ,जैसे ब्लड प्रेशर , बहुत तेज होकर हार्टअटैक आना ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ कर ब्रेन हेमरेज हो जाना ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ कर पैरालिसिस हो जाना ये सब खराब बीमारियां एसिडिटी से शुरू होती हैं। जब रक्त में एसिडिटी बढ़ती है तब ये बीमारियां अपने चरम पर पहुंच जाती है लेकिन रक्त में एसिडिटी बढ़ती कहां से है वो पेट से बढ़ती है पेट में एसिडिटी कब बढ़ेगी जब आप घुट-घुट पानी नहीं पीएंगे तो लार बार बार अंदर नहीं जाएगी, तो समस्या। इसलिए आयुर्वेद में कहा गया पानी घुट घुट पिए ।
तीसरा नियम
सवेरे सोकर उठे सबसे पहले उठते ही पानी पीना । उषा पान का सही अर्थ है। सबेरे साढ़े चार बजे उठते ही पानी पिए कम से कम तीन गिलास बिना प्यास के घूंट घूंट पर भर कर कोई कहेगा हमें प्यास नहीं लगती तो भी घुट घुट कर पियो इस पानी का फायदा सबसे बड़ा फायदा इसका ये है रात को आप सो गए। सोने के बाद मुंह में लार बनी वो जमा हुई वो पानी पिने से सब लार नीचे चले जाएगी दूसरा फायदा उठते ही आप पानी पीएंगे तो पानी सारा बड़ी आंत में जाएगा। बड़ी आंत में मल फंसा रहता तो मल को बाहर निकालेगा। जैसे ही पानी मल को निकालना शुरू करेगा प्रेशर एकदम बनेगा। अब तुरंत टायलेट में जायेगे और पांच मिनट में फ्रेश होकर वापस आ जायेगे तो आपको मैं ये समझाना चाहता हु कि शरीर ठंडा मत होने दीजिए इसको गरम रखिए तो ठंडा शरीर न हो इसके लिए ठंडा पानी मत कीजिए। नहीं तो क्या होगा। ठंडा पानी बार बार पीते रहेंगे शरीर में तकलीफें शुरू होंगी। उसकी सबसे बड़ी तकलीफ क्या होती है कि जब बहुत ठंडा पानी आप पी लेते हैं तो शरीर का जो पेट है वो पानी को गरम करता है। पानी को गरम करने पर पेट को एनर्जी चाहिए, ऊर्जा चाहिए और वो ऊर्जा ब्लड से ही आ सकती है। खून में से आ सकती है और खून को फिर सारे शरीर से पेट की तरफ दौड़ना पड़ेगा तब पानी गरम होगा। शरीर का सारा खून पेट में जाने लगे तो बाकी अंगों को खून की कमी पड़ जाएगी और वो खून की कमी हमेशा के लिए डैमेज कर जाएगी । इसीलिए आयुर्वेद कहता है कभी भी ठंडा पानी गलती से भी ना पिए
चौथा नियम-
हमेशा खाना खाएं तो चबा चबाकर खाएं कितना चबाएं जितने आपके दांत है दांत आपके बत्तीस है तो 32 बार चबाये । ताकि अच्छे से लार मिलकर अंदर जाए और अच्छे से खाना पचे । इसके बाद छठा नियम है कि खाना जब भी खाएं तो जमीन पर बैठ के खाएं। जमीन पर बैठने से क्या होता है पृथ्वी का गुरुत्व बल हमारे पेट पर केंद्रित है। पेट की नाभि पर गुरुत्वाकर्षण होने से नाभि चार्ज है। नाभि के पड़ोस में जठर है वो चार्ज है जठर के चार्ज होने से अग्नि तेज होगी खाना जल्दी पचेगा इसलिए बैठ कर खाए ।
पांचवा नियम-
दोपहर को जब आप खाना खाएं तो आराम जरूर करें। कम से कम 48 मिनट क्योंकि दोपहर को खाना खाते ही हमारे शरीर का ब्लड प्रेशर पड़ता है। एक तो सूरज की धूप होती है दोपहर को और अंदर की गर्मी दोनों मिलाकर ब्लड प्रेशर पड़ता है। बीपी बढ़ेगा तो आराम हीं करना पड़ेगा। काम नहीं कर सकते तो दोपहर का खाना खाते आराम करें। सबसे अच्छे आराम करने की मुद्रा होती है। लेफ्ट साइड में लेटना बायीं तरफ करवट लेकर सोना । इसको वामकुक्षी कहते हैं ज्यादा नहीं लेटना फिर मोटापा आता है । 48 मिनट तक लेटना तो अच्छा। उसमें नींद आ जाए तो ले लेना ज्यादा लेंगे नींद तो फिर मोटापा बढेगा । इसलिए ध्यान इसका रखे |
छठवा नियम-
रात को खाना खाने के दो घंटे तक आराम नहीं करना। दो घंटे बाद करें। रात के खाने के बाद पैदल चलना बहुत जरूरी है। एक हजार कदम उसके बाद कुछ और काम करके फिर आराम करें 2 घंटे के बाद क्योंकि रात को ब्लड प्रेशर कम होता और कम ब्लड प्रेशर में आराम करना खतरनाक है । ऊंचे ब्लड प्रेशर में हाई बीपी में काम करना खतरनाक है। लो बीपी में आराम करना खतरनाक तो इसलिए रात को दो घंटे बाद आराम करें। दोपहर को तुरंत आराम करें।
सातवाँ नियम-
जब खाना खाएं तो दो चीजों को ध्यान रखें एक साथ ऐसे चीजे न खाएं जो एक दूसरे के विरोधी हो ठंडा गरम साथ में न खाएं। दूध और दही साथ में न खाएं। उड़द की दाल और दही साथ में न खाएं। खट्टे फल और दूध साथ में न लें। कटहल की सब्जी के साथ दूध न खाएं। कच्ची प्याज खा रहे तो दूध नहीं खाएं। दही में नमक डालकर न खाएं। हमेशा दही में मीठी चीज डालें। ये आपको थोड़ा झटका लगेगा ये क्या बोल दिया दही में नमक न खाएं क्योंकि रायता तो बिना नमक के बनता नहीं हैं बात ऐसी है कि ये जो दही है ना। ये जीवाणुओं का घर है। अगर आप लेंस लगाकर देखेंगे तो दही में लाखों जीवाणु होते हैं। हम लोग अंग्रेजी में उनको जैलैक्टोबैसिलाईस कहते हैं। ये जीवाणु जीवित चाहिए पेट को आप दही में एक चुटकी नमक डाल दीजिए सब जीवाणु एक मिनट में ही मर और मर गए तो कहीं खाया वो बेकार हो जायेगा इसलिए जीवित जीवाणुओं दही के साथ आयेगे तो कहा गया है कि दही बिना नमक के खाए या दही में बूरा डालें खांड डालें गुड़ डाले, तो बुरा खांड और गुड़ से जीवाणुओं की संख्या बहुत तेज बढ़ती है। बड़ी हुए संख्या के जीवाणु आपको चाहिए आखिरी नियम है। माताओं के लिए ये नियम है विशेष रूप से घर में खाना बनाते समय कोई भी बर्तन ऐसा इस्तेमाल न करें जो चारों तरफ से बंद हो । हमेशा खाना बनाने वाला बर्तन खुला हुआ हो आधा खुला आधा बंद रहे तो भी चलेगा पर पूरा बंद न हो क्यों?
बाहर की हवा खाने को बनाते समय अंदर प्रवेश करनी जरूरी है भाग्य हट्ट जी ने कहा कि भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश या पवन का स्पर्श दोनों में से कोई एक चीज आवश्यक है या तो भोजन बनते समय सूर्य का प्रकाश गिरे नहीं तो पवन का स्पर्श हो हवा उसमें आये अब यह तभी संभव है जब बर्तन खुला हुआ हो। मतलब सीधा सा ये है प्रेशर कुकर में खाना ना बनाये । अब प्रेशेर कुकर बग्गहट्ट जी जमाने में नहीं था लेकिन नियम उन्होंने तभी लिख दिया। उनको शायद ये अंदाजा था कि ये आदमी किसी न किसी दिन बना लेंगे इसको अब ये बात मैंने मज़ाक में कही लेकिन ये बड़ी गंभीर बात है कि प्रेशर कुकर का चक्कर बड़ा ख़राब है आप जानते है प्रेशर कुकर एल्युमीनियम का है एल्युमिनियम दुनिया का सबसे खराब मेटल है धातु है। खाना बनाने के लिए और पकाने के मैंने एक सर्वे किया था। आज से दस साल पहले कि गरीबों को सबसे ज्यादा अस्थमा दमा और टीबी क्यों होती है । गरीबों को उस सर्वे का रिजल्ट आया कि सारे गरीब लोग एल्युमीनियम के बर्तन में खाना बनाते हैं और खाते हैं। यही उनके दमा और अस्थमा का कारण है और टीबी का।
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